
लंदन में भारतीय उच्चायोग पर खालिस्तानियों ने किया हमला
लंदन में भारतीय हाई कमिशन पर हमला एक बडा मुद्दा बनता जा रहा है। इंटेलिजेंस इनपुट थे कि सिख कट्टरपंथी भारतीय हाई कमिशन पर हमला कर सकते हैं। लेकिन इसके बावजूद ब्रिटेन की सरकार ने वक्त रहते एक्शन नहीं लिया। हैरानी की बात देखिए कि ब्रिटेन अपने देश को बचाने के लिए भारत के साथ महत्वपूर्ण फ्री ट्रेड अग्रीमेंट करना चाहता है। ये फ्री ट्रेड अग्रीमेंट अगर नहीं हुआ तो ब्रिटेन बुरे आर्थिक संकट में फंस जाएगा।
ब्रिटेन भारत के साथ रणनीतिक रिश्ते भी मजबूत करना चाहता है। लेकिन इसके बावजूद ब्रिटेन भारत को धोखा दे रहा है।ये मोदी के बीबीसी की डॉक्यूमेंटरी हो या फिर खालिस्तानियों का भारतीय हाईकमिशन पर हमला,ब्रिटेन की सरकार चुप चाप बैठी सब कुछ देख रही है। ब्रिटेन सरकार की मौन सहमति के बिना ये खालिस्तानी लोग भारतीय हाई कमिशन पर हमला नहीं कर सकते थे।
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भारत ने कूटनीतिक स्तर पर ब्लॅक शिन लेने का मन बना लिया है। लेकिन इसी के साथ भारत ने बडे ही प्यार से ब्रिटेन से गद्दारी का बदला ले लिया है। भारत ने जैसे को तैसा वाली स्ट्रैटिजी पर काम शुरू कर दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत सरकार ब्रिटिश इमारतों की सुरक्षा में कटौती करने जा रही है। केंद्र सरकार का मानना है कि ब्रिटेन और यूरोपीय डिप्लोमेट्स को भारत में कोई खतरा नहीं है। फिर भी इन्हें काफी ज्यादा सिक्युरिटी मिलती है। जबकि ब्रिटेन और यूरोप में खतरे के बावजूद भारतीय डिप्लोमेट्स को पर्याप्त सुरक्षा नहीं दी जा रही है। ऐसे में भारत में मौजूद ब्रिटिश इमारतों की सुरक्षा घटा दी जाएगी।
दिल्ली में मौजूद ब्रिटिश हाई कमिशन की बिल्डिंग से सिक्युरिटी और पीसीआर वैन को हटा लिया गया है। माना जा रहा है कि आने वाले समय में भारत ब्रिटेन के खिलाफ कई और बडे कदम उठा सकता है। मांग की जा रही है कि भारत को ब्रिटेन के साथ फ्री ट्रेड अग्रीमेंट नहीं करना चाहिए। ये भी कहा जा रहा है कि जो लोग भारतीय पासपोर्ट लेकर विदेशों में खालिस्तान की मांग कर रहे हैं, उन सभी लोगों के पासपोर्ट रद्द कर दिए जाने चाहिए।
ब्रिटेन के खिलाफ कार्रवाई को देख कई देशों को डर लगने लगा है। भारत ने ब्रिटेन का तो इलाज शुरू कर दिया है, लेकिन अब अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया को भी जवाब देने का वक्त आ गया है। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भी चुप चाप खालिस्तानियों का समर्थन कर रहे हैं। ये बात हैरान करती है कि अपनी एजेंसी पर इतराने वाले अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भाडे के खालिस्तानियों को रोक नहीं पाए। इसके अलावा कनाडा की भी पूरी खातिरदारी की जानी चाहिए क्योंकि कनाडा ही तो खालिस्तानियों का सबसे सुरक्षित घर माना जाता है।
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